
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफ़े के बाद चुप्पी तोड़ी है — और वो भी सीधे फेसबुक पर फायरिंग मोड में।
संविधान दिवस पर जारी किए गए उनके बयान में उन्होंने न केवल हिंसा पर सवाल उठाए, बल्कि खुद के इस्तीफे को भी एक साजिश का हिस्सा बताया।
“ऑटोमेटिक हथियार कहाँ से आए?” — ओली का सवाल
ओली का सबसे बड़ा आरोप यह है कि पुलिस के पास जो हथियार होने ही नहीं चाहिए थे, उन्हीं से गोलीबारी की गई।
“पुलिस ने ऑटोमेटिक हथियारों से गोलियाँ चलाईं, जबकि उनके पास वो थे ही नहीं।”
— केपी शर्मा ओली, Facebook Statement
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर सरकार की ओर से “अंधाधुंध गोली चलाने का कोई आदेश नहीं था।”
यानि अब सवाल है गोली चली कैसे? किसके आदेश पर? और कौन था वो “घुसपैठिया” जिसने आग में घी डाला?
“अभी नहीं कहूंगा, वक़्त बताएगा!” — ओली का सस्पेंस डायलॉग
अपने बयान में ओली ने कई बार इशारों में कहा कि उनके इस्तीफ़े और हिंसा के पीछे बड़ी साजिश है।
“मैं आज इसके पीछे की साजिश के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं कहूंगा, समय ही बताएगा।”
राजनीति में इसे कहते हैं — “सस्पेंस छोड़ो, सीक्वल का पोस्टर फेंको!”
“देश बन रहा था या बिगड़ रहा था?” — जनता कन्फ्यूज है!
ओली ने अपनी पोस्ट में एक दार्शनिक ट्विस्ट भी दिया:
“क्या देश बन रहा था या बिगड़ रहा था, या फिर बस एक काल्पनिक कहानी गढ़ी जा रही थी?”
— एक्स पीएम टू बी यूट्यूब थिंकर!
उन्होंने यह भी जोड़ा कि नई पीढ़ी खुद फैसला करेगी कि असलियत क्या थी।
(मतलब – ज़िम्मेदारी अगली जनरेशन पर डाल दी गई है।)
“घुसपैठ हुई, युवाओं को मारा गया” — लेकिन किसने किया?
ओली ने दावा किया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन उसमें घुसपैठ हुई, और उसी घुसपैठ ने युवाओं को मारा।
लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि:
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ये घुसपैठिए कौन थे?
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कहाँ से आए?
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और क्यों आए?
शायद ये सब भी “समय ही बताएगा” सीरीज़ का पार्ट है।
सत्ता में बदलाव: Welcome, Interim PM Sushila Karki
केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल को मिली है पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री — सुशीला कार्की, जो पहले मुख्य न्यायाधीश भी रह चुकी हैं।
यह कदम नेपाल की राजनीति में ऐतिहासिक है — परंतु कठिन समय में आया हुआ बदलाव, जिससे ज़िम्मेदारी और चुनौतियाँ दोनों दोगुनी हो गई हैं।
जनरेशन Z vs Establishment: बवाल क्यों हुआ?
बवाल की जड़ें थीं सोशल मीडिया बैन कथित राजनीतिक भ्रष्टाचार और सत्ता की कथित जवाबदेही में कमी।
Gen Z — जो अब मीम से मूवमेंट की ओर बढ़ चुका है, वो सड़कों पर था और “Nepal Needs Change” का नारा बुलंद कर रहा था।
ओली की पोस्ट – जवाब या बचाव?
केपी शर्मा ओली का बयान कुछ सवालों के जवाब देता है — लेकिन उससे ज़्यादा नए सवाल खड़े करता है।
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क्या वो खुद को शहीद-ए-सत्ता बना रहे हैं?
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या सच में कोई घोटाला, घुसपैठ और साजिश है?
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क्या “समय” सब बताएगा या पोस्ट्स का सीक्वल आएगा?
एक बात तय है: नेपाल की राजनीति फिलहाल “पोस्ट-सच” दौर में है, जहाँ बयानबाज़ी ही असली बैलेट बन गई है।
“लोकतंत्र में इस्तीफ़ा कभी अंत नहीं होता, सिर्फ़ एक नई पोस्ट की शुरुआत होता है!”